Chhatrapati sambhaji maharaj | Story in hindi

अगर आप में हिम्मत है तो पूरा पोस्ट पढ़िए गा | और कोशिश करिएगा अंत में रोए भी ना... इनका नाम है छत्रपति संभाजी महाराज आपने छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम तो सुना होगा उनके जेष्ठ पुत्र 1657 में उनका जन्म हुआ| बचपन से आखरी तक केवल संघर्ष 2 साल की उम्र में ही उनकी माता का देहांत हो गया मां जीजाबाई जो छत्रपति शिवाजी महाराज की मां थी यानी उनकी दादी ने उनका पालन पोषण किया| सोचता हूं कहां से शुरू करूं और कहां लेकर जाऊं अद्भुत बालक जिसके के बारे में पूरी दुनिया को पता लगना जरूरी है| 13 साल की उम्र तक 13 भाषाएं सीख चुके थे 13 साल की उम्र तक संस्कृत के विद्वान पंडित, Regional language, Portuges पुर्तगालियों की भाषा, अंग्रेजों की भाषा, मुगलों की भाषा, साउथ इंडियन लैंग्वेज, सारी ढक्कन भाषाएं कई शास्त्र लिख डाले थे ध्यान दीजिएगा शास्त्र पढ़ डाले थे


नहीं बोल रहा हूं बल्कि 13 साल की उम्र तक 13 भाषाएं सीख और कई शास्त्र लिख डाले थे बुधभूषण, और निक्सस से कई शास्त्र जहां पर है इन्होंने अपने रायगढ़ल किलो की बात की गणपति का बहुत सुंदर गुणगान किया| हॉर्स राइडिंग, अरमोरी, तीरंदाजी, और बॉडीबिल्डिंग, मैं तो यह इतने पावरफुल थे| एक्चुअली ना अगर आप ध्यान से देखो तो Rare combination शस्त्र और शास्त्र का जो बच्चा शास्त्र पढ़ने में एक्सपोर्ट हो जाता है ना उससे शस्त्र नहीं उठता है और जो शास्त्र उठा लेता है वह शास्त्र पढ़ने में निपुण नहीं होता है अद्भुत बाल साहित्यकार जो साहित्य पढ़ता भी है और साहित्य लिखता भी था हुआ क्या बुद्धि और बल दोनों बढ़ गया 60 किलो की तलवार लेकर 16 साल की उम्र में पहला युद्ध रामनगर का जीता छोटा बच्चा होता है ना उसका मन होता है पिता के साथ समय बिताएं पर पिता मुगलों से लोहा लेने में व्यस्त हो चुके थे लेकिन एक बार छत्रपति शिवाजी महाराज ने अभी एक 9 साल के थे संभाजी महाराज इनको क्या बोले..... मेरे साथ चलो आगरा जा रहा हूं मैं वहां की शासक औरंगजेब से मिलने और घोड़े पर बिठाकर 1200 किलोमीटर ध्यान दीजिएगा घोड़े से 1200 किलोमीटर 9 साल का बच्चा पिता के साथ पीछे बैठकर के पहुंच गया आगरा आगरा में क्या हुआ यह देख के हैरान हो गए छोटा सा बच्चा वहां का मुगल सल्तनत राजा उस समय जहांपनाह क्या किया| पहले तो उनकी बेइज्जती करी| उसके बाद इनको कारागृह में डाल दिया और बंदी बना लिया यह बच्चा घबराता नहीं था, जो यह साहसी जो जितना था की वही बैठकर सोचने लगा निकलूं कैसे पिता को निकालूं कैसे सबसे पहले पिता को बाहर निकाला कुछ दिनों के बाद खुद भी वहां से गायब हो गया| रायगढ़ पहुंच गया 10 साल की उम्र में इसको महाराज आफ अजमेर के पास भेज दिया गया कैसे भी पोलिटिकल अलायंस को और भी बेहतर समझ सके यही दो इंसीडेंट इनके लिए बहुत हो गया था कैसे भी यह समझे उसके बाद यह तैयारी करने लगे| हर सफल शासक के पास कोई ना कोई बुद्धिमान सलाहकार जरूर रहता है चंद्रगुप्त मौर्य के पास चाणक्य पंडित थे


जिन्होंने धनानंद के सारे साम्राज्य को उखाड़ डाला था ठीक उसी प्रकार इन्होंने उज्जैन के कवि को कवि कलश उनको अपना सलाहकार अपना एडवाइजर फ्रेंड फिलॉस्फर गाइड बनाया जो अपनी कविताओं के माध्यम से इनकी विचारधारा को तैयार किया था इनकी सोचने की क्षमता को इनके बैरियर को खत्म कर देते थे वे उनके इतने महान इंटेलिजेंट महान एडवाइजर थे जो हमेशा इनके कवि कलश को अपने साथ रखते थे| पिता अभी युद्ध लड़ने में बिजी थे इन्होंने 19 साल की उम्र में से पिता के पीछे से अपने रायगढ़ के किले को संभालना शुरू कर दिया था 1681 में पिता छत्रपति शिवाजी महाराज वीर मराठाओं का देहांत हुआ इन्होंने 1 मिनट समय नही गवाया तुरंत उठ तैयार हो गए, तुरंत क्या गजब की तैयारी करी औरंगाबाद में औरंगजेब का सबसे बड़ा किला और यह सोचने लगे कि हमारे पास तो धन की कमी तो है और अगर मैं इस के किले को पहली बार में उखाड़ दूं तो इसका धन घटेगा और मेरा धन बढ़ेगा डबल बेनिफिट औरंगाबाद इस बड़ी लूट और हार ने औरंगजेब को एकदम हिला कर रख दिया औरंगजेब ने यह सोचा भी नहीं था 13 साल का तो बच्चा है यह ऐसा कैसे कर सकता है यह हुसैन अली खान सबसे बड़ा जनरल को 20000 हाथी और सैकड़ों सैनिकों को घोड़ों के साथ भेजा| जाओ और उसे खत्म कर दो हुसैन अली खान बोला 2 दिन में मैं सबको खत्म कर आऊंगा मराठा इतनी तेज इनका जो साहस था गजब की लीडरशिप बहुत पावरफुल था सारे मराठा इकट्ठे हो गए हैं और हुसैन अली खान को 1 साल लगा उनका कुछ नहीं कर पाए हुसैन को औरंगजेब ने वापस बुला लिया और कई बार अटैक करवाया 1681 1682 1680 एक भी लड़ाई उसने नहीं जीती अच्छा एक बात बताएं पूरे इतिहास के अंदर शायद छत्रपति संभाजी महाराज यह अकेला ऐसा युद्ध रहा होगा हमारे देश से जिसने 9 साल के अंदर 120 लड़ाइयां लड़ी लेकिन एक भी नहीं हारा औरंगजेब ने सोचा पूरा नार्थ तो मैं जीत चुका हूं अब तो केवल डेकन बाकी रह गया है डेक्कन समझ रहे हो ना उस समय का जो दक्षिणी था केरला कर्नाटक तमिलनाडु आंध्र प्रदेश हैदराबाद जितना भी आज दिखता है

आज सब मिला के उसने सोचा अब डेक्कन जितना बाकी रह गया है तो जब वह महाराष्ट्र की तरफ बढ़ने लगा औरंगजेब ने एक एग्रीमेंट साइन करने की कोशिश की एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करने की कोशिश करी कि अब पुर्तगालियों के साथ गोवा में समुद्री रास्ते से एक और सपोर्ट मिले क्योंकि आमजन मेड लिस्ट से आ सके औरंगजेब बहुत तेज था उसने सोचा नार्थ से भी सपोर्ट लूंगा पुर्तगाल के लोगों को साथ लूंगा साउथ से और निकाललूंगा तीनों चारों दिशाओं से खदेड़ कर रख दूंगा यह तो बस छोटा सा बच्चा है इन्होंने जैसे ही पता चला इन्हें जैसे ही पता चला संभाजी महाराज को सबसे पहले यह गोवा में घुस गए गोवा में जाकर के इन्होंने पुर्तगालियों को उखाड़ फेंका और गेंद की तरह उछाल उछाल कर फेंक कर बहुत मारा और यह वापस आए उसके बाद फिर लड़ने की तैयारी में जुट गए मेरे हिसाब से छत्रपति संभाजी महाराज की सबसे बड़ी अचीवमेंट में सबसे बड़ी अचीवमेंट यही रही कि मराठाओ के बीच में 9 साल तक घुमाता रहा परिणाम यह हुआ औरंगजेब पूरा नार्थ छोड़कर औरंगजेब यहां आ गया और मराठों के बीच में इतना घुमाया 800000 की सेना इनकी 20 लाख की सेना इधर से मार उधर से मार इतनी लड़ाइयां लड़ी एक बार भी ऑरेंज जीत जीत नहीं पाया अच्छा अब हुआ



यह डेक्कन में बिजी रखकर के उधर नार्थ में पंजाब के अंदर बुंदेलखंड के अंदर राजस्थान के अंदर फिर से स्वदेशी सल्तनतए वापिस तैयार कर ली 9 साल का ज्ञात मिल गया ना 9 साल के अंदर स्वदेशी ताकतें फिर खड़ी होने लगी हमारे देश के हिंदू राजा फिर वापस आए मुगलों से लड़ने के लिए यह इनको गोल-गोल घुमाते रहे इतना गोल-गोल घुमाया कि पूरा गोल भारत को जीतने का गोल औरंगजेब के हाथ से छूट गया और गोल गोल घुमा गोल पूरा नहीं हुआ औरंगजेब कहां रुकने वाला था उसने नई तरकीब लगानी शुरू कर दी नीचे से सिद्धेश को साथ में लिया मैसूर के राजा को अपने साथ में लाया पुर्तगालियों को फिर से ताकतवर बनाया चारों तरफ से घेरने की कोशिश की मराठा को लेकर ऊपर से तो छोटे थे लेकिन उम्र इन के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी इतने साहसी पावरफुल डिसीजन मेकिंग लीडरशिप बड़ी अद्भुत उम्र से काफी आगे चल रहे थे इनोवेशन बिल्ड करना शुरू कर दिया चुकी धन पैसा कम था इन्होंने क्या किया अपने इलाके की सारी मोचीऔ और दर्जियों को इकट्ठा किया उनको बोले आओ पेड़ से रबड़ का कपड़ा बनाएं संभाजी महाराज ने बहुत बेहतरीन आईडिया दिया इन लोगों ने पेड़ से रबड़ निकालना शुरू कर दिया और उस रबड़ से कपड़े बनाने शुरू कर दिए रबड़ के कपड़ों को तीर के आगे लपेट देते थे उन्होंने बताया तीर के आगे रबड़ का कपड़ा और नीचे बारूद लगाओ रबड़ का कपड़ा जल्दी नहीं जलता है



और इसे जला कर के तेज छोड़ दो जैसे ही निशाने पर जाकर टकराएगा उसका जो गन पाउडर है तेज विस्फोट करेगा भयंकर तबाही मचेगी नए-नए इनोवेशन लेकर आएं बुद्धि से बहुत तेज थे औरंगजेब को भी तो मानना पड़ेगा ना हारते थे मार खाते थे फिर खड़े हो जाते थे यह अकेले नहीं लड़ते थे लोगों को साथ लेकर मराठों को साथ लेकर लड़ते थे चिका देव नाम का एक राजा था जो औरंगजेब के साथ पूरी तरह मिल चुका था इसने क्या किया छत्रपति संभाजी महाराज यह सब को बोल दिए हैं एक ने भी अगर औरंगजेब के धर्म परिवर्तन की मिशन में मदद की उखाड़ के सारी नस्ले बर्बाद कर दूंगा मराठा हूं अपने देश के लिए काम करता हूं और वह चिक्का देव राय के पुर्तगालियों को सबको खत्म करते चले गए एक बात ना औरंगजेब कुछ समझ में आ गई| यह जो लड़का है ना इसको मार नहीं सकते इसको हरा नहीं सकते संभाजी राजे घोस ने समझ लिया 9 साल तक इनको पीते रहें मारते रहें समझ में आ ही गया था औरंगजेब इसको नहीं हरा सकते हैं सामने से तो नहीं लड़ सकते हैं कुछ और क्यों न करें और वही इनके जो साले साहब थे जो इनके पत्नी के भाई संभाजी राजे घोस से के पत्नी के भाई वह इनको वेतन दारी देने से मना किया वह बात औरंगजेब को खबर लग गई वही 1689 का समय में गणोजी शिर्के ने ओ इनको एक गुप्त रास्ते मीटिंग के लिए अपने पार्टनर कवि कलश उनके साथ कहीं गए थे संगम ईश्वर में और वही गणोजी शिर्के ने औरंगजेब के आर्मी जनरल को बता दिया इस गुप्त रास्ते से जाओ और इसको खत्म कर दो और वह मामूली से 2000 आर्मी के साथ उनको पकड़ने के लिए पहुंच गया 2 लाख लोग तो उनको हरा नहीं पाए इनको पता था नहीं हरा सकते हैं 2000 से हारना पड़ा क्यों? क्योंकि धोखा दिया गनोजी शिरके बेईमान हो गए थे अपने परिवार का इंसान बेईमान हो गया| यहां एक शेर है

"हमें तो गणोजी शिर्के ने लूटा, औरंगजेब में कहां दम था| अपनी कश्ती वहां डूबी जिधर पानी कम था|"

गणोजी शिर्के ने वह गुप्त रास्ता औरंगजेब के जनरल आर्मी को बता दिया वह अपना सिपाही सेना लेकर वहां पहुंच गया निहत्थे जा करके उन्हें पकड़ लिया कब्जा जमा लिया साथ में कवि कलश और इधर छत्रपति संभाजी महाराज दोनों करते क्या ना करते हैं लाखों लोग मिलकर इनसे नहीं लड़ सके हैं चोरी से इनको जाकर पकड़ लिया औरंगजेब अंदर तक घूनस खाया हुआ था संभाजी महाराज से कवि कलश को लेकर उठते लटका दिया उल्टा टांग के पूरे शहर में घुमाया बहुत मारा-पीटा लोगों को बुलाया बोला इन पर मूत्र त्यागो इनको मारो पत्थर फेंको उसके बाद बुलाकर बोला तीन प्रश्न मराठा किंगडम मेरे हवाले कर दो ट्रिब्यूटरी प्रिंसिपल बना दूंगा जो सोना गहना तुमने छुपा कर चोरी किया है उसको वापस कर दो और किसने तुम्हारी मदद करी उनका नाम बताओ तीसरा अपना धर्म परिवर्तन कर लो यह तीन काम कर लो तब ही जीवित बचोगे और मेरे साथ रहोगे ताकतवर बना दूंगा कवि कलश और संभाजी महाराज की आंखों में जरा सा भी डर नहीं था उनको बोले मैं मराठावो की जमीन तुम्हारे नाम कभी नहीं करूंगा अपने धर्म का कभी बलिदान नहीं करूंगा तुम एक बार मारो या हजार बार मारो अगली बार फिर जन्म लूंगा अपने ही धर्म में लूंगा रुका नहीं औरंगजेब इन लोगों ने अंजर का त्याग कर दिया और शरीर को लेकर सुन्न हो गए| वह इनके नाखून उखड़ थे चले गए आंखों में मिर्ची डालते चले गए इसके बाद जलती सलाखें लेकर आंखों में डालते वक्त फिर पूछा और डाल दिया ये तब भी कुछ नहीं बोले कि हमको माफ कर दो छोड़ दो उंगलियां काटने शुरू कर दिए बालों को उखाड़ दिया वो हाल किया उसके बाद धीरे-धीरे खाल उतारने शुरू कर दिए उसके बाद फिर पूछा 3 प्रश्न अपना धन दे दो जमीन दे दो धर्म परिवर्तन कर लो ये सुन्न हो गए थे| उन्हें मारने पीटने और संतावना देने का सिलसिला 40 दिन तक चलता रहा औरंगजेब रोज उनसे शाम को आकर पूछा था बता दो बता दो और आखरी में बोला मैं तुम्हारे आगे हार मान गया मेरी चार संताने हैं उनमें एक भी तुम्हारे जैसा होता ना संभाजी महाराज जैसा पूरे देश को मुगल सल्तनत बना देता इस देश को भारतवर्ष को मुगल सल्तनत बना देता तेरे आगे मैं हार गया काट डालो इसका शरीर काट डालो इसका शरीर टुकड़े-टुकड़े कर दो इनके शरीर को नदी के पास फेंक दो समस्त मुगल राजाओं में औरंगजेब एक अमानवीय इनहुमन राजा था बरहाल मौका मिल गया सारे मराठों को इकट्ठा होने का उन्होंने शरीर के टुकड़े उठाएं संभाजी महाराज की शरीर को सील कर उनका अंतिम संस्कार किया लेकिन अब हर घर महल बन चुका था औरत सेना में आ गई हर पत्ता अब तीर बन चुका था


सारा मराठा कम्युनिटी एक हो गई युद्ध छिड़ गया खत्म हो गया दक्कन का सुल्तान बनने का उसका सपना कुछ ही साल के अंतर वही दक्कन की भूमि पर मारा गया वही खत्म हो गया औरंगजेब देश को नहीं जीत पाया गर्व है मुझे मैंने जन्म लिया इस देश में जहां वीर मराठा संभाजी महाराज का जन्म हुआ पर दुख है मुझे कि आज देश ऐसे वीरों को आज भूलता चला जा रहा है आज मेरी आपकी हर मराठा की और पूरे देश की जिम्मेवारी है कि इनकी कहानी पूरे देश को पता लगनी चाहिए इस पोस्ट को आप अपने फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम व्हाट्सएप सोशल मीडिया पर शेयर करें अगर आपको यह पोस्ट जरा भी अच्छा लगा हो तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएं हम आपके प्रतिक्रिया का बेसब्री से इंतजार करते हैं

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