Renuka aradhya real story motivational in hindi
Renuka aradhya motivational real story
कौन सोच सकता था कि घर घर में जाकर अनाज मांगने वाला लड़का जो दसवीं कक्षा में फेल हो गया था जिसके पास खुद ₹1 रुपया नहीं था वह लड़का आज के समय में ₹50करोड़ की कंपनी का मालिक है और उसकी कंपनी की वजह से हजारों लोगों के घर का चूल्हा जलता है घनघोर गरीबी से निकलकर अपना करोड़ों का साम्राज्य स्थापित करने वाले व्यक्ति की कहानी आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगी हम बात कर रहे हैं
50 वर्षीय रेणुका आराध्या की जो बेंगलुरु के नजदीक गोपसांग्रा बंगाल गांव से ताल्लुक रखते हैं उनके पिता राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त आवनतिक मंदिर के पुजारी थे हालांकि उन्हें सेवा के लिए कोई वित्तीय सेवा नहीं मिलती थी उनके पिताजी अपने जीवन यापन के लिए गांव में घूम-घूम कर आटा चावल मांगते थे उस मिले राशन को पास के बाजार में बेचा जाता मिले रकम से घर का गुजारा बड़ी मुश्किल से चल पाता था कक्षा 6 की पढ़ाई के बाद उनके पिताजी ने उन्हें लोगों घर में नौकरी के रूप में काम पर लगा दिया उसके बाद उनके पिता चर्म रोगी बुजुर्ग व्यक्ति के घर पर सेवा सत्कार पर लगा दिया जहां उस बुजुर्ग को नहलाते धुलाते और उसके घाव पर मल्हम लगाते थे अचानक उनके पिता की मृत्यु के बाद सारी जिम्मेवारी उन पर आ गई पढ़ाई लिखाई में समय ना मिलने की वजह से दसवीं कक्षा में फेल हो गए हैं उसके बाद उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी रुपए पैसे कमाने के चक्कर में येद्लेप्स में स्वीपर भी रहें अलग-अलग जगहों पर मजदूरी भी की इसी समय में बुरी संगत में फंस गए शराब पीना और जुआ खेलना उनकी आदत बन गई थी किसी तरह उन्होंने यह सब छोड़कर शादी करने का फैसला किया 20 साल की उम्र में उन्होंने शादी की शादी के कुछ ही दिनों बाद उनकी पत्नी को मजबूरी में किसी कंपनी में मजदूरी का काम करना पड़ा जिंदगी की इस मुसीबत भरी राह में उन्हें न जाने कैसे-कैसे काम करने पड़े प्लास्टिक बनाने के कारखाने में और श्याम सुंदर ट्रेडिंग कंपनी मे मजदूर की हैसियत से और 600 रुपये मे सिक्योरिटी गार्ड के रूप में और सिर्फ ₹15 प्रति पेड़ के लिए नारियल के पेड़ पर चढ़ने वाले एक माली के रूप में लेकिन
उन्हे कुछ बेहतर करने की ललक ने कभी उनका साथ कभी नहीं छोड़ा और इसमें कई बार खुद का काम करने का भी सोचा और किसी तरह ₹30000 जोड़े और बैग फ्रीज और सूटकेस के कवर बेचने का काम शुरू किया उनक पत्नी सिलाई करती और वे बाजार जा कर सामान बेचते थे लेकिन उनका यह काम नहीं चल पाया और सारा पैसा डूब गया वह कहते हैं ना कि जब तक असफलता के कांटे पैरों में नहीं चुभते तब तक सफलता के फूल खिल ही नहीं सकते इसलिए व्यक्ति असफल होने पर नहीं हारता बल्कि हारता तो तब है जब वह सफलता को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना बंद कर देता है अधिकांश लोग असफल होने परस्वयम को निराशावादी बना लेते हैं लेकिन जो व्यक्ति अंधेरे पथ पर भी स्वयं दीपक बनकर अपना पथ तलाश लेते है वास्तव में वह इंसान सफल और कर्मठ है रेणुका के जीवन ने तब जाकर करवट ली जब उन्होंने सब कुछ छोड़कर एक ड्राइवर बनने का फैसला किया लेकिन उनके पास ड्राइवरी सीखने के लिए पैसे नहीं थे अभी शादी की अंगूठी गिरवी रखकर उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किया उसके बाद उन्हें ड्राइवर का जॉब मिला लेकिन किस्मत उनके हाथो से एक एक्सिडेंट हो गया उन्हे नौकरी से निकाल दिया गया उसके बाद उन्होंने हॉस्पिटल में डेड बॉडी की ट्रांसपोर्टेशन का काम 4 साल तक किया लेकिन कम पैसे मिलने की वजह से उन्होने दूसरी कंपनी मे कम करने का सोचा दूसरी कंपनी मे उन्हे विदेशी पर्यटकों को टूर पर ले जाना होता विदेशी पर्यटक ने डॉलर में डिब्बी देते रेणुका इन पैसों को जमा करने लगे और इन्हीं जमा पैसों और पत्नी के बीएफ से 2001 में पुरानी इंडिका कार खरीदी और फिर उसकी कमाई से डेढ़ साल के भीतर ही दूसरी गाड़ी खरीद ली धीरे-धीरे 2006 तक उनके पास पांच गाड़ी हो चुकी थीऔर खुद की सिटी सफारी नाम से कंपनी भी शुरू कर ले किस्मत भी हिम्मत वालों का ही साथ देती है ऐसा ही कुछ रेणुका के साथ हुआ जब उन्हे पता चला कि इंडियन सिटी टैक्सी नाम की कंपनी बिकने वाली है तो फाइनेंस कंपनी को 6:30 लाखों के में खरीद लिया बिछी पड़ी थी उन्होंने अपनी जिंदगी में यह सबसे बड़ा जोखिम उठाया थाजो उन्हे कहां से कहां ले आया उसके बाद उन्होंने फिर कंपनी का नाम प्रवासी केयर प्राइवेट लिमिटेड रखा जिसकी आज अलग ही विशेषता है साल 2018 तक उन्होंने अपनी कंपनी को चेन्नई और हैदराबाद जैसे बड़े सर उनकी लगभग 1300 कैप चलती थी
मार्केट में ओला उबेर जैसी कंपनियां आने के बाद भी उनके कारोबार पर कोई असर नही पड़ा क्योंकि अधिकतर नियमित ग्राहक हैं और उनकी सुविधा से संतुष्ट हैं दोस्तों मेहनत और संघर्ष के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है कभी घर घर भीख मांगने वाला बच्चा बाद में मजदूरी और मामूली सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी और आज की तारीख में 500 करोड़ की कंपनी का मालिक जो खुद 23 लाख की गाड़ी से चलता है.....दोस्तों संसार के दो मार्ग हैं एक मे जीत है तो दूसरे मे हार है एक मे खुशी है तो दूसरे मे दुख येसे ही जीवन दो बातो पर अधरित है सफलता और असफलता यदि आप किसी सफल वयक्ति का राज देखेंगे तो आप उसके इतिहास उठाकर देख ले इतिहास गवाह होगा की वह इंसान सफल होने के लिए कई बार आसफलता की रहो से गुजरा होगा सफलता डरकर भागकर या किसी दूसरे के द्वारा नही पाई जाती सफलता तो आपके मजबूत इरादो साहस और अपने आप पर विस्वास कर के ही पाई जाती है धनवाद.....
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