1953 Mount Everest की दर्दनाक कहानी
अगर आप adventure के शौकीन है तो दिल थाम के बैठ जाइए क्योंकि mihindi.com
आपके लिए लेकर आया है एक ऐसे एडवेंचर की कहानी जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे और जिसके बारे में शायद आपने कभी नहीं सुना होगा दुनिया की सबसे बड़ी शिखर माउंट एवरेस्ट की सैर करने की शुरुआत 1921 से ही शुरू हो चुकी थी लेकिन उसकी चोटी तक कोई नहीं पहुंच पा रहा था माउंट के चोटी तक तक पहुंचना आसान भी नहीं था क्योंकि वहां तक पहुंचने के लिए बेहद ही मुश्किल और खतरनाक हालातो से गुजरना होता है क्योंकि 29028 feet कि रास्ते में बहुत ही मौत के दरवाजे हैं इस मिशन में कई लोग और सफल भी हुए हैं कई लोगों ने अपनी जान गवा दी कई लोगों के शव तो उन बर्फीली चट्टानों के अंदर दबा पड़ा है जिसे आज तक वापस नहीं लाया गया लेकिन साहस के सुर वीरों ने हिम्मत नहीं हारी नेपाल के तेनजिंग सन 1952 में तेनजिंग के दिमाग पर एवरेस्ट को सैर करने का जुनून सवार था तब स्विजरलैंड के रेमंड लैंबर्ट और तेनजिंग ने शैर करने का प्रयत्न किया था लेकिन वे इसमें निष्फल साबित हुए थे 1952 मे तेनजिंग और एडमंड पूरी पहाड़ को चढ़ गए थे बेहद कठिनाइयों के चलते उन्हें महज 1000 फुट की दूरी से वापस आना पड़ा था मंजिल से इतने करीब होकर भी वापस आ जाने का दुख उन दोनों को था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी फिर 1 साल बाद सन 1953 में तेनजिंग 7 अमरीश और दो न्यूजीलैंड पर्वतारोहियों के साथ एवरेस्ट के सफल अभियान के लिए निकल गए तेनजिंग और एडमंड हिलेरीकी टीम ने चढ़ाई की शुरुआत 9 अप्रैल 1953 के दिन बर्फीली रास्ते माइनस में टेंपरेचर हिमनदी कभी भी टूट पड़ने वाली शीलाये बर्फीली खाईयों के बीच एक के बाद एक कैंप बनाकर मंजिल के करीब बढ़ते रहे 20000 फुट की ऊंचाई तक के बाद एक छोटी सी दरार को पार करने के बाद हिलेरी ने डाईव लगाई और उस पर चलना शुरू किय डाईव पर भार के कारण बर्फ की चट्टान वहां से खिसक गई और वह हमेशा के लिए उसमें दबाने ही वाले थे की पीछे से समय रहते तेनजिंग ने वह रस्सी फेंकी और हेनरी ने अपने प्राण बचा लिए अगर तेनजिंग ने वो रस्सी ना फेकी होती तो हेनरी उस वक्त अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते खैर एडमंड हिलेरी और तेनजिंग की टीम धीरे-धीरे चोटी के नजदीक आते रहे उसमें पहले चढ़ाई को शुरू करने वाली इवान की नव सदियो की एक टीम थी जो तेनजिंग की टीम से पहले एवरेस्ट को चढ़ने वाली थी अगर किसी कारण इवान की टीम एवरेस्ट पर चढ़ने को असफल हो या चढ़कर वापस आ जाए उसके बाद तेनजिंग की टीम को आगे बढ़ना था हेनरी और तेनजिंग ने लगभग आधे से ऊपर एवरेस्ट को सर्व कर लिया था everest की चोटी से पहले आने वाली आखिरी छोड़ सबसे खतरनाक माना जाता है एवरेस्ट की चोटी से पहले आने वाली आखरी छोर सबसे खतरनाक मानी जाती है जहां पर पहुंचते-पहुंचते कर लोगों ने आखिरी में जान गवाई एक तरफ इवान की टीम इनसे आगे बढ़ रही थी और 26 मई के दिन माउंट एवरेस्ट की शिखर से वह लोगों की केवल 300 फीट की दूरी पर थी लेकिन इवान और उसके साथी बहुत थक चुके थे उनके शरीर ने जवाब दे दिया था उनसे अब एक कदम भी आगे बढ़ने का हौसला नहीं था और भी चोटी से महज 300 फीट की दूरी पर से वापस लौट गए
यहां पर इतिहास किसी और के नाम पर ही लिखा जाने वाला था इवान के टीम को पीछे लौटते ही तेनजिंग और हेनरी की टीम को आगे बढ़ना था रात मे सोने के बाद सुबह तेनजिंग और उसकी टीम ने अपनी मंजिल के तरफ कदम बढ़ाए तापमान -27 डिग्री सेल्सियस था और स्थिति बहुत कठिन थी फिर भी इन साहसिकों ने हिम्मत नहीं हारी वे अपनी कुदरत और कठिनाइयों का सामना करते करते हैं एक के बाद एक कदम आगे बढ़ाते गए और सुबह के 9:00 बजे वह लोग दक्षिण के शिखर तक पहुंच गए धीरे-धीरे ऑक्सीजन खत्म हो रहा था और उनके पास इतना अक्सीजन भी नहीं था की वे इस अभियान को ठीक से खत्म कर सकें तेनजिंग की गति धीमी हो रही थी उनके पाव धीरे-धीरे भारी हो रहे थे कुछ यही हाल हेनरी का भी था हेनरी ने तेनजिंग की तरफ देखा उनको कुछ समय के लिए रोका उनके ऑक्सीजन की नली को साफ किया क्योंकि उनको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी वे लोग एक के बाद एक आने वाली कठिनाइयों को मात देते रहे और अपने कदम माउंट एवरेस्ट की ओर बढ़ाते रहें और आखरी में 29 मई 1953 के दिन तेनजिंग का नाम इतिहास में दर्ज हो गया जब वे 11:30 मिनट पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी 30028 फीट यानी 8848 मीटर की उचाई पर पहुचे उनके खुसियों का कोई ठिकाना नहीं था
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